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हिंदू कन्या इंटर कॉलेज, पिलखुवा की स्थापना सन 1945 में हुई थी | इस कॉलेज के संस्थापक बाबू श्याम सुंदर लाल जी का जन्म सन 1915 में पिलखुवा के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार जो अघौड़ी परिवार के नाम से जाना जाता है उस में हुआ था | उनके पिता का नाम श्री शिंभूमल था। बाबू श्याम सुंदर लाल शुरू से ही मेधावी छात्र थे। उनकी शिक्षा के प्रति गहरी रुचि थी | उस समय जबकि बहुत कम लोग ही पढ़ा करते थे, उन्होंने बीए की डिग्री प्राप्त की | उस समय पिलखुवा में केवल गिने-चुने लोग ही ग्रेजुएशन कर पाते थे | ग्रेजुएशन के कारण ही उनको लोग बाबूजी कहने लगे थे | लड़कियों की शिक्षा का कोई साधन पिलखुवा में उस समय नहीं था | उनके मन में लड़कियों की शिक्षा के प्रति बहुत लगन थी, इसकी वजह से उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए परिवार के सहयोग से इस हिन्दू कन्या इंटर कॉलेज की स्थापना की |
इतिहास गवाह रहा है कि किसी भी समाज कि उन्नति एवं प्रगति उसकी भावी पीढ़ी पर निर्भर है । भावी पीढ़ी शिक्षा के माध्यम से मानवीय मूल्यों, आदर्शो एवं संस्कारों का बीज बोकर सफल जीवन जीते हुए मोक्ष को प्राप्त करे यही उदेशय है । तभी तो कहा गया है – सा विधा या विमुक्तये । मानव शरीर के प्रत्येक अंग अवयव में असीम शक्तियां छिपी हुई है । इन्हें जानने एवं विकसित करने क़ि जरुरत होती है जिससे जीवन समृद्ध, समुन्नत एवं गौरवशाली बन सके । साहस, शौर्य, उधम, परिश्रम, उद्योग, धैर्य एवं संघर्ष क़ि अद्भुत शक्तियां सिर्जनात्मक विचारो से उत्पन्न होती है जिनका प्रयोग जीवन के किर्यात्मक क्षेत्र में करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है ।(....Read More)
देश के भावी कर्णधारों को हर चुनौती के लिए तैयार करने की सुदृढ़ योजना के साथ-साथ उन्हें संस्कारवान अनुशासित व नैतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान बनाकर प्रगति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाना ही इस संस्थान का प्रथम एवं प्रमुख ध्येय रहा है | इस उद्देश्य के अनुरूप आकार पा रही विद्यालय की छात्राएं निश्चय ही राष्ट्र की उम्मीदों पर खरी उतरेंगी |
मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि रचनाधर्मी शिक्षिकाओं के निपुण हाथों से गढ़ी जा रही सभी बालिकाएं अपनी नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा से(....Read More)